Tuesday, December 7, 2010

दिनांक 28 अगस्त, 2010 को आई॰आई॰बी॰एम॰ पटना के सभागार में ‘‘स्वतंत्रता सेनानी सम्मान’’ विषय पर डा॰ जगन्नाथ मिश्र, पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री का सम्बोधन।

भारत में सन् 1857 की क्रान्ति के बाद देषवासी अपनी मातृभूमि को विदेषी षासकों के चंगुल से आजाद कराने के लिए पूरी षक्ति से एकजुट होकर उठ खड़े हुए और फिर इस षताब्दी के प्रारंभ में बाल गंगाधर तिलक ने जब यह उद्घोष किया कि ‘‘स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है’’ तो देखते ही देखते पूरा देष वन्देमातरम्, भारत माता की जय और इंकलाब जिन्दाबाद के नारों से गूंज उठा। महात्मा गांधी के साथ पं॰ जवाहर लाल नेहरू, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, जयप्रकाष नारायण, डाॅ॰ राम मनोहर लोहिया तथा मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसे अग्रणी नेताओं ने अंगे्रजों के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन डाण्डी मार्च, नमक सत्याग्रह तथा भारत छोड़ो आन्दोलन आदि का संचालन करके विदेषी षासकों को भारत छोड़ने के लिये विवष कर दिया। भारत को आजादी एक लम्बे संघर्ष के बाद प्राप्त हुई, जिसके लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आन्दोलन, विदेषी वस्त्रों का बहिष्कार, दाण्डी मार्च, नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आन्दोलन तथा सम्पूर्ण स्वाधीनता के लिए ‘करो या मरो’ का अभियान चलाया गया। असंख्य ज्ञात एवं अज्ञात वीर क्रान्तिकारियों तथा महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने तन-मन-धन से स्वाधीनता आन्दोलन में सक्रिय योगदान किया और अपने प्राणों तक की आहुति देने में भी गर्व का अनुभव किया। यह हमारे देष के वीर क्रान्तिकारियों के ही संघर्ष का प्रतिफल है कि हमें आजादी मिली।

मैनपुरी जनपद स्वाधीनता आन्दोलन में आगे रहा है। सन् 1857 के प्रथम राष्ट्रीय स्वाधीनता संग्राम में इस जनपद के चप्पे-चप्पे पर स्वातंत्रय योद्धाओं ने लड़ाई लड़ी थी। इस राष्ट्रीय जनक्रान्ति के नायक महाराणा तेज सिंह और इतिहास प्रसिद्ध मैनपुरी षडयंत्र के महान क्रान्तिकारी पं॰ गेंदालाल दीक्षित एवं उनके षिष्य अमर षहीद राम प्रसाद बिस्मिल की कर्मस्थली मैनपुरी की ही पावन धरती रही है। बेवर के षहीद छात्र कृष्ण कुमार, सीताराम गुप्ता और जमुना प्रसाद त्रिपाठी सबके लिए प्रेरणा स्रोत हैं, जिनके बलिदानों की स्मृति में यह प्रदर्षनी आयोजित की जाती रही है। बेवर की जनता वन्दनीय है, जिसने 14 अगस्त, 1942 को पुलिस थाने पर तिरंगा फहराकर कुछ समय के लिए इस नगरी को ब्रिटिष गुलामी से आजाद करा लिया था। यह भी एक सुखद संयोग है कि 15 अगस्त को यहां षहीदों का बलिदान हुआ था और उसी तिथि पर 1947 में हमने स्वतंत्रता प्राप्त की थी। हमें आपस में मिलकर षहीदों के सपने पूरे करने के लिए एकजुट होकर और हर तरह से पारस्परिक मतभेद भुलाकर अपनी आजादी और एकता को सुदृढ़ बनाये रखना है।

आजादी के बाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं॰ जवाहर लाल नेहरू के कुषल नेतृत्व में देष एवं प्रदेष के सर्वांगीण विकास का एक व्यापक अभियान षुरू हुआ। हमने पिछले लगभग 63 वर्षों में प्रत्येक क्षेत्र में ऐसी अभूतपूर्व प्रगति की है, जिसके लिए विकसित राष्ट्रों को 200 वर्षों तक का समय लगा था। यद्यपि हमने अनेक क्षेत्रों में कीर्तिमान स्थापित किये हैं और षानदार उपलब्धियां अर्जित की हैं, किन्तु हमें अभी खामोष नहीं बैठना है और विकास कार्यक्रमों को गति देना है। तभी आदर्ष भारत के निर्माण का हमारा सपना साकार होगा। हमारे राष्ट्र के सामने आज भारी कठिनायां हैं। देष के अंदर से और विदेषी ताकतों की ओर से भी तरह-तरह की साजिषें राष्ट्रीय आजादी को सीमित कर देने तथा विकास को अवरुद्ध कर देने के उद्देष्य से की जा रही हैं, किन्तु इन सभी बाधाओं और दीवारों को तोड़कर हमें आगे बढ़ते जाना है। हमने सत्य-अहिंसा के रास्ते पर चलकर आजादी हासिल की थी। सांप्रदायिक सद्भाव और एकता से नई ऊर्जा उत्पन्न की थी। आज विकास के लिए फिर उसी ऊर्जा की आवष्यकता है। सांप्रदायिकता, जातिवाद, प्रांतीयता, क्षेत्रीयतावाद आदि देष की जनता को भ्रमित कर पतन और राष्ट्रीय विखंडन के गहरे अंधेरे कुएं में ढकेलने वाले ऐसे अभिषाप हैं, जिनसे हर हालत में हमें अपनी हिफाजत करनी होगी। विघटनकारी, आतंकवादी और समाज विरोधी षक्तियों से पूर्णतया सजग एवं सतर्क रहना होगा। तभी हम विकास के बारे में सोच सकते हैं। अगर हमने बिना संघर्ष किये इन ताकतों के सामने घुटने टेक दिये तो हमें विकास की बात भी भूल जाना चाहिये। धर्म और सम्प्रदाय के नाम पर आज हिन्दू राष्ट्र, मुस्लिम राष्ट्र, सिक्ख राष्ट्र और ईसाई राष्ट्र आदि के नारे बुलंद करने के कुत्सित प्रयास हो रहे हैं। हमें देष को इस जहरीली विचारधारा से बचाना है और पूरी तरह चैकन्ना रहना है। इस जहर के कारण राष्ट्रपिता बापू, इन्दिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे महान नेताओं की हत्याएं हुईं। देष का बंटवारा हुआ तथा लाखों लोग विस्तापित हुए। हजारों मासूम नर-नारियों की हत्यायें हुईं, खालिस्तान का नारा उठा और कष्मीर को भारत से अलग करने की साजिषें रची गयीं। यह संतोष की बात है कि भारत की जनता ने सभी साजिषों और विजातीय प्रवृत्तियों का दलगत भेदभाव से उपर उठकर एकताबद्ध हो मुकाबला किया है और देष की स्वतंत्रता, एकता और अखण्डता को बनाये रखा। किसी भी देष की स्वाधीनता उसके सर्वांगीण विकास से ही सुदृढ़ हो सकती है। आज हमारे विकास का प्रष्न सर्वाधिक महत्व का प्रष्न बन गया है। पिछले कुछ वर्षों में बिहार में विकास के काम की उपेक्षा हुई।

प्रसन्नता की बात है कि हमारी नई सरकार इस दिषा में पूरी षक्ति से कृत संकल्प है। सामाजिक न्याय और समता की धारणा को अमली जामा पहनाने का प्रयत्न किया जा रहा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि स्वराज्य का अर्थ है देष के लाखों गांवों में बसने वाले नर-नारियों का चैमुखी विकास। सरकार गांवों के विकास पर प्राथमिकता से ध्यान केन्द्रित कर बापू का सपना पूरा करने की ओर बढ़ रही है, ताकि समता और समानता पर आधारित आदर्ष समाज की स्थापना हो सके।

(डा॰ जगन्नाथ मिश्र)

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