Saturday, December 11, 2010

विधान सभा चुनाव नतीजा बिहार में विगत पांच वर्षों में आये आर्थिक एवं सामाजिक बदलाव की निरंतरता बनाये रखने के लिए मुख्यमंत्री श्री नीतीष कुमार के नेतृत्ववाली गठबंधन के उम्मीदवारों की अभूतपूर्व जीत के लिए- पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री, डा॰ जगन्नाथ मिश्र ने मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार एवं बिहार के मतदाताओं को बधाई दी।

विधान सभा चुनाव नतीजा बिहार में विगत पांच वर्षों में आये आर्थिक एवं सामाजिक बदलाव की निरंतरता बनाये रखने के लिए मुख्यमंत्री श्री नीतीष कुमार के नेतृत्ववाली गठबंधन के उम्मीदवारों की अभूतपूर्व जीत है। इस जीत से श्री नीतीश कुमार की राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रतिबद्ध विकास, धर्मनिरपेक्ष एवं सामाजिक समरसता के नेता के रूप में छवि बनी है। 2010 का विधान सभा चुनाव बिल्कुल अलग था। चुनावी फिजां में एक नयी लहर दौड़ रही थी। सुशासन की लहर, विकास की लहर। श्री नीतीश कुमार ने अन्य सभी पार्टियों को सुशासन के नारे के साथ ही चुनावी मैदान में जोर अजमाने के लिए विवश कर दिया। चुनाव में कमोबेश सबके नारे में विकास और सुशासन की ही गूंज थी। विधान सभा क्षेत्रों में संपन्न हुए चुनावों में महिलाओं की भागीदारी पूर्व के सभी चुनावों की अपेक्षा अधिक रही है। महिला मतदाताओं की ऐसी अवधारणा बनी है कि वर्तमान सरकार ने उन्हें राजनीतिक सहभागिता प्रदान की है। मुसलमानों में विशेषकर यह अवधारणा बनी कि भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन में सम्मिलित रहने के बावजूद श्री नीतीश कुमार की सरकार ने धर्मनिरपेक्षता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनायी रखी है। निःसंदेह इस नये माहौल की शुरूआत श्री नीतीश कुमार ने की। नतीजा है कि आजादी के छह दशक बाद आज बिहार की राजनीति एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है, जहां आम आदमी से जुड़े मुद्दे प्राथमिकता में हैं। जाति और मजहब की दीवार अप्रासंगिक दिखायी देने लगी हैं। इन मुद्दों ने बिहार को इस कदर जकड़ रखा था कि ये राज्य की पहचान से जुड़ गये थे। चुनाव में न तो कहीं दबंगई चली और न ही जनता भावनाओं में गुमराह होती नजर आयी। राज्य में यह पहला चुनाव रहा, जिसमें मतदान के दौरान किसी को अपनी जान नहीं गंवानी पड़ी, न किसी उम्मीदवार, न किसी राजनीतिक कार्यकर्ता और न ही किसी मतदाता को। इस बार हिंसा के बिना चुनाव का संपन्न होना खुद बता रहा है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की सूरत किस हद तक सुधरी है। यह श्री नीतीश कुमार सरकार की बड़ी उपलब्धि है। वर्षों से अधिक और सामाजिक रूप से हाशिए पर रहने वाली बिहारी जनता को इस चुनाव के दौरान अपने अधिकार का अहसास था। यह ऐसा मौका था, जिसमें बिहार के भविष्य का रास्ता चुनने का अधिकार आम बिहार को था। तभी तो राज्य के लोगों ने इस बार उत्साह के साथ अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इसी का नतीजा रहा कि इस बार पिछले विधान सभा चुनाव की तुलना में 7 फीसदी अधिक वोट पड़े। चुनाव के विभिन्न चरणों में मतदान का बढ़ा प्रतिशत इस बात का संकेत है कि लोगों के दिलों में बिहार के बारे में एक सपना है और यह सपना एक ऐसे बिहार का है जिसका परचम हर जगह लहराये। राज्य में सौहार्दता हो, जाति या धर्म के आधार पर समाज में विद्वेष न हो। 2005 से 2010 के बीच पांच वर्षों में बिहार ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण यात्रा तय की है। बिहार की वास्तविक प्रगति का यह शुभारंभ है। श्री नीतीष कुमार की सरकार में राज्य में आर्थिक नवजागरण लाने का हर संभव प्रयास हुआ है। राज्य के ढांचे के निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण के अतिरिक्त राज्य में निवेषकों को आकर्षित करने की क्षमता बढ़ाने का भी प्रयास हुआ है। गत 5 वर्षों के दौरान किए गए प्रयासों के चलते बिहार असफल राज्य से क्रियाषील राज्य (फंग्सनल स्टेट) में बदला है।


विद्यानाथ झा
निजी सचिव

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