Monday, December 13, 2010

श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार मंत्रिपरिषद का विधायक कोष को समाप्त करने के निर्णय को
डा॰ जगन्नाथ मिश्र ने साहसिक निर्णय बताया।
पटना, 11 दिसम्बर, 2010

देश के विकास को यदि कोई सबसे ज्यादा बाधित कर रहा है तो वह है भ्रष्टाचार। आज इससे पूरा देश त्रस्त है। लोकतंत्र की जड़ों को खोखला करने का कार्य काफी समय से इसके द्वारा हो रहा है। इस पृष्ठभूमि में बिहार मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधायक कोष को समाप्त करने का निर्णय लिया है जो प्रशासन में भ्रष्टाचार एवं अनियमितता समाप्त करने की दिशा में एक साहसिक व ऐतिहासिक निर्णय कहा जा सकता है। यह निर्णय देश को एक संदेश देगा। श्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्वकाल में गठित बेंकट चलैया आयोग ने एम॰पी॰ तथा एम॰एल॰ए॰ फंड को तत्काल बंद करने की सिफारिश की और उसने इसे अलोकतांत्रिक माना था। परंतु केन्द्र एवं राज्य स्तर पर किसी सरकार ने इस कोष को समाप्त करने का साहस नहीं जुटा पायी। बिहार में ही सर्व प्रथम 1980 में ऐसे कोष की शुरूआत हुई थी। आज बिहार ही उसकी समाप्ति का संदेश दे रहा है।
यह अत्यंत ही विस्मयकारी तथा दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में भ्रष्टाचार को समाप्त करने की लगातार कोशिश की जा रही है परंतु सभी प्रयास, भाषणों एवं कागजी कार्रवाई तक सीमित रही है। अब श्री नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार विरोध अभियान को सरजमीन पर व्यावहारिक रूप दिया है। बिहार सरकार ने भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए एंटी करप्शन एक्ट पारित किया है। इस एक्ट के तहत वह भ्रष्ट अधिकारियों की संपŸिा ट्रायल के दौरान जब्त कर सकती है। इस एक्ट के तहत बिहार सरकार आॅल इण्डिया सर्विस के अधिकारियों की संपŸिा भी जब्त कर सकती है। निचले स्तर पर भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकार राइट टू सर्विस एक्ट भी लागू करने वाली है। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के सेवा का अधिकार कानून बनाने की घोषणा सरकारी महकमों में कामकाज को सुचारू बनाने की दिशा में भरोसा जगाने वाला है। बिहार में सेवा का अधिकार लागू होने के बाद यहां के कर्मचारी अपनी जवाबदेही से बचने की कोशिश नहीं करेंगे, ऐसी आशा की जा सकती है। भ्रष्टाचार के कारण राज्य के गरीबों को बुनियादी सुविधाएं देने के लिए लगातार किये जा रहे व्यय का अधिकांश भाग बिचैलियों के बीच सीमटता गया है। ऐसी परिस्थिति में भ्रष्टाचार और विकास जैसी चुनौतियों के लिए भगीरथी प्रयास की आवश्यकता है। बिहार को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के साथ-साथ बिहार को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाने में मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की घोषणा अत्यंत ही सराहनीय है। उनकी ये घोषणा बड़ी एवं चुनौतियों से भरी है। उन्होंने अपनी दूसरी पारी की सरकार की ओर से कार्यालयों की कार्य संस्कृति बदलने एवं विकास की परिकल्पनाओं को आकार देने की चेष्टा की है। उससे ऐसी आशा बनती है कि उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति एवं ईमानदार कोशिश से भ्रष्टाचार से बिहार को मुक्त करने में वे सफल हो सकते हैं। अपनी पहली पारी की सरकार में ई-गवर्नेस के लिए दुनियां में उन्होंने ख्याति अर्जित की है। इसलिए यह आशा बनती है कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में वे सफल हो सकते हैं। बिहार को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाने के लिए सबसे जरूरी है कार्य संस्कृति में बदलाव तथा व्यवस्था को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना। ऐसा होने से बिहार में विकास की गति तेज होगी। भ्रष्टाचार पर कारगर ढंग से रोकथाम कर, जनविश्वास अर्जित करने तथा प्रशासनिक शिथिलता समाप्त करने के उद्देश्य से ‘‘बिहार विनिर्दिष्ट आचरण निवारण अधिनियम, 1983’’ को पूरे राज्य में तत्कालिक प्रभाव से दृढ़तापूर्वक लागू करने की डा॰ मिश्र ने मुख्यमंत्री से अपील की।
(विद्यानाथ झा)
निजी सचिव

No comments:

Post a Comment

Ĭ